यमुना बचाने वाले ग्रामीणों को मिलने लंदन से आए रॉबर्ट

यमुनानगर के कनालसी गांव के लोगों ने पीने लायक बनाया नदी का पानी, भारी भरकम राशि खर्चने पर भी सरकार के हाथ खाली

कनालसी गांव में साफ सुथरी यमुना के पानी से आचमन करते रॉबर्ट ओटसकनालसी गांव में साफ सुथरी यमुना के पानी से आचमन करते रॉबर्ट ओटसयमुना एक्स प्लान पर 4,439 करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी यमुना नाले से अधिक कुछ नहीं। लेकिन यमुनानगर के छोटे से गांव कनालसी के निवासियों ने छोटे-छोटे उपाय से अपने क्षेत्र में बह रही यमुना नदी को साफ सुथरा बनाया हुआ है। ग्रामीणों का यह प्रयास किसी सरकारी कोशिश का नतीजा नहीं। उनकी अपनी इच्छा है। कम से कम कनालसी गांव की यमुना मित्र मंडली ने ऐसा ही किया।

यहां यमुना पूरी तरह से साफ सुथरी है। इतनी कि यहां इस पानी को बेहिचक पी सकते हैं। इस गांव से दस किलोमीटर दूर भले ही नदी नाला नजर आए। इस गांव के पास यमुना एकदम साफ सुथरी है। इसका श्रेय जाता है, यहां के निवासियों को। किसी भी नदी को बचाने के लिए बड़े उपाय करने की जरूरत नहीं है। छोटे-छोटे उपाय भी नदी बचा सकते हैं। ग्रामीणों के इसी प्रयास को देखने के लिए टेम्स रिवर रेस्टोरेशन ट्रस्ट के डायरेक्टर रॉबर्ट ओटस इस गांव में पहुंचे। उनके साथ पर्यावरणविद् देव वाडले और सु वाडले भी थी।

छोटे उपायों का बड़ा असर


ग्रामीणों ने अपने क्षेत्र में नदी के तट पर पौधारोपण किया। खेतों में रसायन का छिड़काव बंद कर दिया। गांव का गंदा पानी नदी में न आए, इसके लिए गंदे पानी को स्टोर किया गया। इस पानी से खेत में सिंचाई की जाती है। यमुना मित्र मंडली करनाल के अध्यक्ष किरण पाल राणा ने बताया कि इसके साथ ही गांव में पोलिथीन मुक्त किया गया। मित्र मंडली के अनिल शर्मा ने बताया कि नदी को अध्यात्म से जोड़ा। अब ग्रामीण नदी की पूजा करते हैं। इसलिए कोई भी इसे गंदा नहीं करता।

मृत नदी को जिंदा करने की कहानी


रॉबर्ट ओटस ने बताया कि 50 के दशक में टेम्स नदी मर चुकी थी। यह नाला बन गई थी। गंदगी इतनी कि एक बार पार्लियामेंट भी बंद करनी पड़ी। तब इस नदी को साफ-सुथरा करने की कोशिश हुई। 20 साल तक लगातार काम किया गया। इस क्रम में नदी में सिवर के पानी को डालना बंद किया गया। औद्योगिक कचरे और गंदे पानी को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से साफ कर नदी की बजाय समुद्र में डाला गया। हालांकि इस कोशिश में दो बिलियन पाउंड खर्च किए गए। पर अब नदी साफ सुथरी है।

करोड़ों खर्च, परिणाम सिफर


1993 में यमुना को साफ करने के लिए यमुना एक्शन प्लान बनाया गया था। जापान व भारत सरकार ने मिल कर चलाए एक कार्यक्रम को देश में नदी रेस्टोरेशन का बड़ा कार्यक्रम बताया गया था। जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कॉरपोरेशन और मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट एंड फोरेस्ट ने मिल कर उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा और यूपी में यह कार्यक्रम चलाया। इस परियोजना पर 4439 करोड़ से भी अधिक का पैसा खर्च किया। योजना के तहत गंदे पानी की निकासी के लिए सीवर सिस्टम बनाए गए।
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