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यमुना के गंदे पानी के खिलाफ पंचायत 19 को
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फरीदाबाद। मथुरा और बरसाने के यमुना रक्षक दल के बाद अब फरीदाबाद और पलवल जिले के लोगों ने यमुना मैया को गंदगी से मुक्त करने के लिए कमर कस ली है। यमुना शुद्धीकरण के लिए इलाके के लोगों की एक जल पंचायत 19 जनवरी को प्याला गांव में ग्राम सेवा समिति द्वारा आयोजित की जाएगी।

जल पंचायत के आयोजक सुरेंद्र चौहान, कर्नल वीके गौड़, कर्नल महेंद्र बीसला ने यहां प्रेस वार्ता में बताया कि केंद्र सरकार यमुना की सफाई पर 2400 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। फिर भी यमुना साफ नहीं हो सकी। सोनीपत तक यमुना के पानी का मानक तीन से पांच बीओडी पहुँचता है, लेकिन दिल्ली के बाद जब यमुना फरीदाबाद में पहुँचती है, तो उसका बीओडी लेवल बढ़कर 30 से 55 तक हो जाता है। इसका कारण है कि दिल्ली के 15 बड़े नालों की गंदगी बिना ट्रिटमेंट किए यमुना में मिल जाती है। कभी इस जिले के लोग यमुना का पानी पीते थे। आज उसे पशु भी नहीं पीते। यमुना, आगरा, कैनाल और गुड़गांव कैनाल में जेट ब्लैक पानी बहता है। उन्होंने बताया कि फ़रीदाबाद के भी पांच बड़े नालों की गंदगी यमुना में गिरती है। उन्होंने 2012 में आरटीआई के माध्यम से जानकारी ली, तो पाया कि फ़रीदाबाद के तीन और पलवल के दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांटों के नमूने शत प्रतिशत फेल पाए गए हैं। दिखावे के लिए एसटीवी लगाकर यमुना मैया की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है।

जल पंचायत के आयोजकों ने बताया कि एक मार्च, 2013 को चली यमुना रक्षक दल की यात्रा जब दिल्ली पहुंची, तो केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत ने लिखित में करार किया कि यमुना के साथ-साथ 22 फुट का नाला बनेगा, जिसमें नाले गिरेंगे और उस गंदगी को साफ करने के बाद ही यमुना में डाला जाएगा। किंतु लगभग साल हो जाने पर भी यह योजना एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सकी है।