यमुना प्रदूषण मुक्ति को दण्डवती परिक्रमा

Dandvati parikrama
Dandvati parikrama

पूर्ण वैदिक परंपरा के अनुसार मंत्रोच्चारण के मध्य दुग्धाभिषेक कर किया पूजन
.मथुरा। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यमुना प्रदूषण मुक्ति आन्दोलन के पुरोधा गोलोकवासी गोपाल वैष्णव पीठाधीश्वर विट्ठलेश महाराज की पुण्य स्मृति में सैकड़ों गोपाल भक्तों ने यमुना जी का पूजन कर पुण्य तीर्थ विश्राम घाट से मथुरा की पंचकोसीय दण्डवती परिक्रमा यमुना प्रदूषण मुक्ति कामना हेतु प्रारम्भ की।

इस दौरान गोपाल गली से शुरू हुई शोभा-यात्रा छत्ता बाजार, विरजानंद बाजार, कंसखार होते हुए पतित पावनी यमुना के पुण्य तीर्थ विश्राम घाट पर पहुंचे, वहां पर यमुना जी का पूर्ण वैदिक परंपरा के अनुसार मंत्रोचारण के मध्य दुग्धाभिषेक कर पूजन किया गया। तत्पश्चात यमुना जी की आरती करके सर्वप्रथम पुण्य तीर्थ पर विराजमान श्री कृष्ण-बलराम की दण्डवती परिक्रमा की। इसके बाद गोपाल भक्तों यमुना जी, गोपाल जी महाराज, गुरू जी महाराज के गगनभेदी जयकारों के मध्य दण्डवती परिक्रमा का शुभारम्भ किया। मार्ग के दोनों ओर सैकड़ो की संख्या में स्त्री, पुरूष श्रद्धालु महाराज तथा परिक्रमा करने वालों का स्वागत व दर्शन करने के लिए आतुर थे।. डोला में विराजमान गोपाल जी महाराज, विट्ठलेश जी महाराज की छवियों की आरती उतार कर अर्चन व नमन किया गया। विश्राम घाट से चर्चिका देवी का दर्शन नमन करते हुए पीपलेश्वर महादवे श्रृंगार घाट, भैरोनाथ प्रयागघाट वेणी माधव, श्याम घाट, शयामाश्याम प्रभु, रामघाट रामेश्वर महादेव, श्री दाऊजी घाट दण्डी घाट, बंगाली घाट, कम्पूघाट होते हुए, सूर्य तीर्थ सूर्य घाट पर दण्डवती परिक्रमा के प्रथम दिन का विश्राम हुआ। परिक्रमा का प्रारम्भ करने से पूर्व भक्तों को आर्शीवाचन प्रदान करते हुए वर्तमान पीठाधीश्वर आचार्य पुरूषोत्तम लाल जी महाराज ने कहा कि इस दण्डवती परिक्रमा का मुख्य उद्देश्य गोलोकवासी महराज के संकल्प यमनुा प्रदूषण मुक्ति निवारण की पूर्ति करना है। श्रीमहाराज जी यमुना प्रदूषण निवारण हेतु सदैव अग्रणी रहे हैं। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्री कुंजकिशोर जी, श्री गोपाल बाबा, श्री यदुनन्दन जी बाबा, मकरन्द जी, पीयूष बाबा, शिवकुमार चतुर्वेदी, गाजधर पाठक, ब्रहानन्द, रामदास चतुर्वेदी, पवन, सुरेश मक्कू चौबे, सुखदेव प्रसाद, जगदीश प्रसाद शेरा, विजय पण्डा, सालिग पहलवान व सुदामा जी आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।

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